शिक्षक ने घूस देने से किया इंकार तो नहीं मिला लंबित वेतन। निगरानी विभाग व शिक्षा विभाग ने दिया है वेतन भूगतान का आदेश। केस लड़ने और वेतन के इंतजार में बिक गई शिक्षक की जमीन। शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना और लिपिक का कारनामा।
(बेगूसराय) : छौड़ाही प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मालपुर के एक शिक्षक को डीपीओ स्थापना शिक्षा विभाग बेगूसराय व उनके कार्यालय के एक लिपिक को घूस नहीं देने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। शिक्षक को लंबित वेतन तो नहीं मिला ऊपर से उनकी सारी जमीन अपनी नौकरी बचाने व वेतन चालू करवाने में बेचनी पड़ गई। प्रताड़ना से आजिज शिक्षक ने डीएम एवं प्रमंडलीय आयुक्त को आवेदन देकर उक्त अधिकारियों कर्मियों पर मानसिक शारीरिक आर्थिक सामाजिक व अन्य रूपों से प्रताड़ित उपेक्षित अपमानित और मृतप्राय कर देने का आरोप लगा न्यायालय में वाद दायर करने की अनुमति मांगी है।
आश्चर्य की बात है कि डीपीओ स्थापना ने हीं चार माह पुर्व उक्त शिक्षक के वेतन भूगतान का आदेश दिया था। शिक्षक का अध्यतन वेतन तो चालू कर दिया गया लेकिन, लंबित वेतन आदेश के चार माह बाद भी नहीं दे सके।
क्या है मामला : उत्क्रमित मध्य विद्यालय मालपुर छौड़ाही के शिक्षक संतोष कुमार सिंह के प्रमाण पत्र को पुलिस निरीक्षक निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पत्रांक 246/18 दिनांक 23-11-18 द्वारा संदेहास्पद पाए जाने संबंधी प्रतिवेदन जिला शिक्षा कार्यालय को समर्पित किया गया। जिसके आलोक में उक्त शिक्षक का वेतन अक्टूबर 2018 से स्थगित कर दिया गया। कागजात प्रस्तुत करने के बाद पुलिस अधीक्षक निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पत्रांक 752 दिनांक 03-02-2020 द्वारा इस शर्त पर शिक्षक का वेतन विमुक्त किया गया कि शिक्षक प्रथम श्रेणी के अधिकारी स्तर से इस आशय का शपथपत्र देंगे कि उनका प्रमाण पत्र वैध है। भविष्य में उनके प्रमाण पत्र के संबंध में प्रतिकूल टिप्पणी पर सुसंगत धारा के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस प्रतिवेदन के आधार पर डीपीओ स्थापना रवि कुमार सिंह के ज्ञापांक 945 दिनांक 02-03-2020 द्वारा शिक्षक का लंबित वेतन भुगतान का आदेश बीआरसी छौड़ाही को दिया गया। बीआरसी ने शपथ पत्र प्राप्त कर शिक्षक का वेतन एडवाइस डीपीओ स्थापना कार्यालय को भेज दिया। लेकिन डीपीओ के आदेश के चार माह बाद भी अब तक शिक्षक के लंबित वेतन का भुगतान नहीं हो सका है।
कुलनाम “सिंह” के फेर में शिक्षक की बिक गई जमीन : डीएम, आयुक्त मुंगेर को भेजे आवेदन में कहा गया है कि शिक्षक संतोष कुमार सिंह के मैट्रिक के बाद के प्रमाण पत्र में नाम के आगे सिंह अंकित है। तस्वीर, पिता, पता सभी एक समान है। निगरानी विभाग द्वारा तमाम शिक्षकों के जांच के क्रम में मैट्रिक के बाद प्रमाण पत्र में सिंह शब्द देख उनका संदिग्ध सूची में नाम डाल दिया गया। जिस कारण नौकरी ईज्जत सब खतड़े में पड़ गया। डीपीओ स्थापना, लिपिक संतोष कुमार द्वारा हाईकोर्ट और निगरानी विभाग का भय दिखा घोर यातनाएं दी गई। जिसकारण उनको किमती पैतृक जमीन बेचना पड़ा। सभी कागजात निगरानी और शिक्षा विभाग को समर्पित करने के बाद लंबित वेतन भूगतान का आदेश दिया गया लेकिन घूस की रकम नहीं देने के एवज में लंबित वेतन अब तक मिला नहीं है। आवेदन में शिक्षक संतोष कुमार सिंह ने कहा है कि इस रहस्योद्घाटन के बाद शिक्षा विभाग के उक्त अधिकारी और लिपिक द्वारा पूरी तरह बर्बाद कर देने की धमकी बार बार दी जा रही है। शिक्षक ने उक्त अधिकारी के घोर अपराधिक कुकृत्यों के लिए कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।
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