संकल्प दिवस पर टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोप गुट) समस्तीपुर के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार साहू ने बताया कि सेवाशर्त में मोटे तौर पर ऐच्छिक स्थानान्तरण,फुलफ्रेज इपीएएफ, अर्जितावकाश,ग्रेच्युटी,बीमा, मेडिकल समेत टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांगों को दरकिनार कर दिया गया है।
जहां ऐच्छिक स्थानान्तरण का लाभ शिक्षिकाओं एवं विकलांगों के लिए केवल एकबार रखा गया है वहीं म्युचअल स्थानान्तरण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित करने की कोशिश की गई है ।अर्जितावकाश भी राज्यकर्मियों को तीन सौ दिनों का मिलता है वही नियोजित शिक्षकों को महज 110 दिनों का दिया गया है।केंद्र सरकार द्वारा लाये गये इपीएफ संशोधन कानून के आलोक में मूल वेतन पर इपीएफ कटौती के बजाय मिनिमम वेज पर इपीएफ की कटौती करते हुए इपीएफ के पर भी कतर दिये गये हैं।
अनुकंपा के नाम पर हमारे आश्रितों के लिए मस्टररॉल टाइप अनुसेवी और विद्यालय सहायक जैसे मानदेयी पद गढ़े गये हैं जिनसे एक परिवार का मिनिमम गुजारा संभव नही।ग्रेच्युटी बीमा एवं मेडिकल आदि सुविधाओं का तो जिक्र तक नही है ।प्रोन्नति एवं पदौन्नति जैसे मसले पर RTE और NCTE के प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाकर नियोजित शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है ।डीए में कटौती करते हुए 01 अप्रैल 2021 से 15% वेतनवृद्धि का लालीपाप दिखाया जा रहा है।जबकि सुप्रीमकोर्ट ने पिछले साल ही टीइटी शिक्षकों के लिए बेटर पे स्कैल का सुझाव दिया है। यह सेवाशर्त सर्वोच्च न्यायालय के वेतन संबंधी न्यायिक सुझावों का भी निषेध कर रही है ।मोटे तौर पर यह दिख रहा कि यह नया सेवाशर्त हम शिक्षकों के बंधुआगिरी को बहाल बनाये रखने का ही कानूनी जामा है। लिहाजा हमारी लड़ाई अपनी जगह पर बदस्तुर कायम है। सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा तदनुरूप सेवाशर्त की मांग पर हमलोग नियोजन के समय से ही संघर्ष करते रहे हैं ।
अनवरत संघर्ष और बार बार मांग करने के बावजूद यह सरकार शिक्षकों के प्रति क्रूर अपमानजनक रवैया अपनाये हुए है।टीइटी-एसटीइटी शिक्षकों को चरम अपमानजनक स्थिति में धकेलनेवाली,शिक्षकों को उनके वाजिब कानूनी हक से वंचित करनेवाले शिक्षा व शिक्षकविरोधी तानाशाह सरकार के खिलाफ हम बिहार के शिक्षकों ने आज संकल्प लिया है ,अगर पुरानी सेवाशर्त लागू नहीं होता है तो लोकतांत्रिक तरीके से आगामी चुनाव में सरकार को बदलने का कार्य शिक्षक करेंगें।
