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ऩई सेवा-शर्त से खफा शिक्षकों ने बदला लो-बदल डालो के संकल्प के साथ मनाया शिक्षक दिवस।

के.के. शर्मा / रिपोर्टर ।
नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त को बिहार की केबिनेट ने पारित कर दिया है  जिसपर खफा जिले के नवनियुक्त शिक्षकों ने आज शिक्षक दिवस पर महान शिक्षक आदर्श डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन करते हुए निम्नलिखित संकल्प यथा सहायक शिक्षक व राज्यकर्मी का दर्जा,पुराने शिक्षकों की भांति वेतनमान व समान सेवाशर्त, सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली की बेहतरी, शिक्षकों को गैरशैक्षणिक कार्यों से पूर्णतः मुक्त करने, छात्र शिक्षक अनुपात में शिक्षकों की आवश्यकता के मद्देनजर शिक्षक नियुक्ति के लिए संघर्ष, स्थानीय निकायों की जगह सरकार द्वारा केन्द्रीयकृत नियुक्ति के लिए  संघर्ष, सार्वजनिक शिक्षा का सुदृढ़ीकरण, कॉर्पोरेट कानों, ट्रष्ट्रों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र मेंबनाई जा रही पीपीपी की खतरनाक नीतियों का मजबूती से विरोध, विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सिद्दत से आगे बढ़ने, एवं सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली का विध्वंस करनेवाली सरकार को उसकी ही भाषा में जवाब देंने एवं वर्तमान एनडीए सरकार की बंधुआगिरि से मुक्ति के लिए “बदला लो बदल डालो ” का संकल्प शिक्षक दिवस पर लिया।

संकल्प दिवस पर टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोप गुट) समस्तीपुर के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार साहू ने बताया कि सेवाशर्त में मोटे तौर पर ऐच्छिक स्थानान्तरण,फुलफ्रेज इपीएएफ, अर्जितावकाश,ग्रेच्युटी,बीमा, मेडिकल समेत टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांगों को दरकिनार कर दिया गया है।

जहां ऐच्छिक स्थानान्तरण का लाभ शिक्षिकाओं एवं विकलांगों के लिए केवल एकबार रखा गया है वहीं म्युचअल स्थानान्तरण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित करने की कोशिश की गई है ।अर्जितावकाश भी राज्यकर्मियों को तीन सौ दिनों का मिलता है वही नियोजित शिक्षकों को महज 110 दिनों का दिया गया है।केंद्र सरकार द्वारा लाये गये इपीएफ संशोधन कानून के आलोक में मूल वेतन पर इपीएफ कटौती के बजाय मिनिमम वेज पर इपीएफ की कटौती करते हुए इपीएफ के पर भी कतर दिये गये हैं।

अनुकंपा के नाम पर हमारे आश्रितों के लिए मस्टररॉल टाइप अनुसेवी और विद्यालय सहायक जैसे मानदेयी पद गढ़े गये हैं जिनसे एक परिवार का मिनिमम गुजारा संभव नही।ग्रेच्युटी बीमा एवं मेडिकल आदि सुविधाओं का तो जिक्र तक नही है ।प्रोन्नति एवं पदौन्नति जैसे मसले पर RTE और NCTE के प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाकर नियोजित शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है ।डीए में कटौती करते हुए 01 अप्रैल 2021 से 15% वेतनवृद्धि का लालीपाप दिखाया जा रहा है।जबकि सुप्रीमकोर्ट ने पिछले साल ही टीइटी शिक्षकों के लिए बेटर पे स्कैल का सुझाव दिया है। यह सेवाशर्त सर्वोच्च न्यायालय के वेतन संबंधी न्यायिक सुझावों का भी निषेध कर रही है ।मोटे तौर पर यह दिख रहा कि यह नया सेवाशर्त हम शिक्षकों के बंधुआगिरी को बहाल बनाये रखने का ही कानूनी जामा है। लिहाजा हमारी लड़ाई अपनी जगह पर बदस्तुर कायम है। सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा तदनुरूप सेवाशर्त की मांग पर हमलोग नियोजन के समय से ही संघर्ष करते रहे हैं ।

अनवरत संघर्ष और बार बार मांग करने के बावजूद यह सरकार शिक्षकों के प्रति क्रूर अपमानजनक रवैया अपनाये हुए है।टीइटी-एसटीइटी शिक्षकों को चरम अपमानजनक स्थिति में धकेलनेवाली,शिक्षकों को उनके वाजिब कानूनी हक से वंचित करनेवाले शिक्षा व शिक्षकविरोधी तानाशाह सरकार के खिलाफ हम बिहार के शिक्षकों ने आज संकल्प लिया है ,अगर पुरानी सेवाशर्त लागू नहीं होता है तो लोकतांत्रिक तरीके से आगामी चुनाव में सरकार को बदलने का कार्य शिक्षक करेंगें।

कार्यक्रम में जिलामहासचिव जयप्रकाश भगत,सचिव रंजीत कुमार रमण,सुजीत ठाकुर, उपाध्यक्ष बिरदेलाल यादव, धर्मवीर कुमार,कोषाध्यक्ष पवन शर्मा,मीडिया प्रभारी मो. इमरान, संजीव कुमार,चैतन्य कुमार, रघुनन्दन सिंह,अवधेश कुमार, बालविजय कुमार,
अजीत कुमार,प्रसांत कुमार, प्रदीप कुमार,नीरज रंजन,पंकज कुमार,अविनाश कुमार,शैलैन्द्र कुमार,मो.अंसार,विवेक कुमार,संतोष कुमार ,कौशल जी प्रीति कुमारी,सिकन्दर राम, अम्बिकेश्वर चौधरी,प्रशांत कुमार सिंह,शोभा कुमारी,ईमदाद अली सहित जिले के सैकड़ों शिक्षकों ने भाग लिया ।

 

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