बेलदौर प्रखंड क्षेत्र के डुमरी मे बीपी मंडल सेतु के एप्रोच पथ का कटाव तेज हो गया है। जिस कारण बीपी मंडल सेतु पर भी खतरा बना हुआ है। मालूम हो कि बिते दिनों बाढ़ नियंत्रण समस्तीपुर मुख्य अभियंता रमाशंकर त्रिवेदी ने जमीन दारी बांध के कटाव स्थल का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे । बाढ़ नियंत्रण समस्तीपुर मुख्य अभियंता कटाव स्थल का जायजा लेते हुए बताया कि तीन से चार किलोमीटर के बीच में ग्रामीणों के प्रस्ताव पर एंटी रोजन का काम शुरू भी किया गया, लेकिन वह नाकाम साबित हो रहे हैं ।
उन्होंने यह भी बताया था कि ग्रामीण के अनुरोध पर देखने के लिए आए थे। यह कार्य एंट्रोजन कमेटी के द्वारा अनुमोदित हो चुका है जो 600 मीटर की दूरी तक 15 मई के पहले से कार्य शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन शुरुआत तो हुई सिर्फ सरकारी पैसा बहाने के लिए और अपनी जेब भरने के लिए जो कोसी नदी एवं बागमती नदी पर बने बीपी मंडल सेतु मडराने लगा फिर से खतरा ,कटाव को जल्द से जल्द रोका नहीं गया तो एक बार फिर उत्तरी बिहार से सडक़ संपर्क फिर से भंग हो सकता है। सरकारी तंत्र से आए पदाधिकारी ने बताया था कि जो भी आवश्यकता होगी उसे पूर्ण किया जाएगा। इससे पहले कटाव निरोधी कार्य करेंगे। वही बीपी मंडल सेतु के नीचे कटाव हो रही है।
उनके बारे में बताया कि कार्यपालक अभियंता के द्वारा नीचे 20 मीटर की लंबाई में कार्य किया गया है जो 1990 एवं 1991 के दशक के दौरान बोल्डर का एप्रोच बनाया गया है। जो पुल के नीचे 6 और 7 फीट के चौड़ाई में दिया गया है जो पूरी तरह से सुरक्षित है। कोसी नदी का जलस्तर घट रही है। जिससे कटाव हो रही है। वही जमा शिल्ड भी पानी में गिर रहा है ।वही शनिवार से विभागीय रूप से तत्काल कटाव स्थल पर कार्य करेंगे । जानकारी के मुताबिक पिछले 70 दिनों से बीपी मंडल सेतु पुल के पास कटाव हो रही थी जो मात्र 25 फीट शेष रह गई थी। अब फिर से कटाव होने पर वह मात्र 20 फीट बच चुकी है।
कार्यपालक अभियंता ने बताया कि पुल पूरी तरह से सुरक्षित है । जो डुमरी घाट में बने कोसी नदी एवं बागमती नदी पर बने बीपी मंडल सेतु पूरे उत्तर बिहार को जोड़ती है। उस जगह भी बोल्डर देकर सुरक्षित किया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि तीन बार तेलिहार गांव कट चुकी है ।ग्रामीणों की मांग है कि बैड बॉल नदी किनारे बोल्डर देकर जालि बांध कर दिया जाए तभी कटाव से राहत मिलेगी। ग्रामीणों ने कार्यपालक अभियंता को बताया कि जैसे पनसलवा गांव के नदी किनारे बोल्डर दिया गया है। उसी तरह उसी बोल्डर का सील्ड लगा कर नदी किनारे रखा जाए तभी नदी की धारा शिल्ड से टकराकर दूर भागेगी जिससे कटाव धीमी हो जाएगी और जिससे ग्रामीण सुरक्षित रह पाएंगे।
