विनोद शर्मा की रिपोर्ट
छौड़ाही (बेगूसराय) : इंद्रवज बिहार सरकार का वर्जपात या ठनका से बचाव हेतु पूर्व चेतावनी देने का यंत्र है। इसे गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
यह ऐप लगभग 20 किलोमीटर की परिधि में वर्जपात या ठनका गिरने की स्थिति में लगभग 40 से 45 मिनट पूर्व अलार्म टोन के साथ चेतावनी संदेश आपके मोबाइल पर देता है। चेतावनी संदेश प्राप्त होते ही इसे आसपास के लोगों तक पहुंचाएं एवं सुरक्षित स्थान पर जाए। इसके साथ साथ मौसम विभाग द्वारा रेडियो एवं प्रिंट,इलेक्ट्रानिक मीडिया एवं दैनिक समाचारपत्र से प्रसारित प्रचारित मौसम संबंधी जानकारी पर अवश्य ध्यान दें।
उक्त बातें आपदा प्रशिक्षण विभाग के जिला सलाहकार एमएच रिजवी ने छौड़ाही प्रखंड मुख्यालय में जनप्रतिनिधियों के लिए आयोजित आपदा से बचाव प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
जिला प्रशिक्षक राजेश चौरसिया एवं गुलाब कादिर ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को बताया कि डूबने से होने वाली मृत्यु की रोकथाम हेतु जन जागरूकता सप्ताह 23 से 29 मई 2022 तक आयोजित होगी।
उन्होंने बताया कि नदियों, तालाबों, गड्ढो आदि में स्नान करने व बर्तन धोने जैसे रोजाना के काम के दौरान बच्चों एवं अन्य व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है। इन बहुमुल्य जिंदगियों को बचाने के लिए खतरनाक घाटों के किनारे पर ना जाये और बच्चों को भी ना जाने दें।
बच्चों को नदी या तालाब तेज पानी के बहाव में स्नान करने से रोके।बच्चों को पुल, पुलिया, उंच टीलो से पानी में कूद करने से रोके। नदी में उतरते समय गहराई पर ध्यान रखें। आंगनबाड़ी सेविकाओं,आशा कार्यकर्ताओं आदि के माध्यम से खतरनाक स्थलों के बारे में समुदाय विशेषकर बच्चों को सचेत करें। खतरो को चिन्हित करके पंचायत की सहायता से लाल झंडे लगवाए जाएं। डुबते व्यक्ति की धोती, साडी, रस्सी या बांस की सहायता से बचाएं। डूबने की घटना होने पर आसपास के लोग आपस में एकत्रित होकर ऐसी दुखद घटना की चर्चा अवश्य करें, कि किस कारण से घटना हुई और ऐसा क्या किया जाए कि, इस तरह की घटना फिर कभी न हो।
डूबे हुए व्यक्ति को पानी से निकालकर तत्काल प्राथमिक उपचार करें। डुबे हुए व्यक्ति के मुंह व नाक में कुछ फंसा तो निकाल दें। नाक और मुंह पर उंगलियों के स्पर्श से जांच कर ले कि सांसे चल रही है कि नहीं। नब्ज की जांच करने के लिए गले में किनारे के हिस्सों में उंगलियों से छूकर जानकारी प्राप्त करें। नब्ज व सांस का पता नहीं चलने पर डूबे व्यक्ति के मुंह से मुंह लगाकर दो बार भरपूर सांस दे एवं 30 बार छाती के बीच में दबाव दे तथा इस विधि को तीन चार बार दुहराये । ऐसा करने से धड़कन वापस आ सकती है और सांस चलना शुरू हो सकती है।प्रभावित व्यक्ति खासने,बोलने, सांस ले सकने की स्थिति में है तो उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। व्यक्ति का पेट फुला हुआ है तो पूरी संभावना है कि उसने पानी पी लिया होगा, अतः पेट से पानी निकालने की प्रक्रिया शुरू करें। उपरोक्त प्रकिया के बाद बचाए गए व्यक्ति को नजदीकी डॉक्टर अथवा प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर ले जाएं।उक्त व्यक्ति को पेट के बल सुलाए तथा पेट के नीचे तकिया या छोटे जैसे जो भी उपलब्ध हो लगा दे। इसके बाद पीठ के नीचले हिस्से पर धीरे धीरे दबाकर पानी बाहर निकाले।उक्त व्यक्ति को पुनः उठाकर पीठ के सहारे सुलाए तथा आराम करने दे। पुनः मुर्छा या बेहोशी की स्थिती में उपरोक्त पर अंकित किये क्या में दबाव देने की प्रकिया शुरू करे।
इस अवसर पर अंचलाधिकारी विजय प्रकाश, राजस्व पदाधिकारी पूजा शर्मा,अनुमंडल अग्निशामक कर्मी
संजय कुमार, प्रभारी सतीश कुमार, अग्निशामक कर्मी
अग्नि चालक उत्तम कुमार, संजीत कुमार,जयद्रथ शंकर समेत जनप्रतिनिधि एवं संबंधित विभाग के कर्मचारी मौजूद थे।
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