Site icon Sabki Khabar

हायाघाट विधानसभा में बढ़ी चुनावी सरगर्मी, रविन्द्र नाथ सिंह उर्फ चिंटू सिंह की जन आशीर्वाद यात्रा बनी चर्चा का विषय

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। दरभंगा जिले की हायाघाट विधानसभा सीट पर इन दिनों चुनावी चर्चाओं का केंद्र बने हुए हैं सामाजिक कार्यकर्ता चिंटू सिंह, जिन्होंने हाल ही में जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक जहां-जहां वे पहुंचे, लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। यात्रा के दौरान भारी भीड़ उमड़ी और स्थानीय लोगों ने उन्हें समर्थन का भरोसा दिलाया।

चिंटू सिंह लंबे समय से सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, युवाओं की समस्याओं और किसानों के मुद्दों को लेकर वे अक्सर आवाज उठाते रहे हैं। गरीबों की मदद और सामाजिक न्याय की लड़ाई में उनकी सक्रियता ने उन्हें क्षेत्र में खास पहचान दिलाई है। यही कारण है कि जैसे ही उन्होंने यह घोषणा की कि वे आगामी चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर मैदान में उतरेंगे, कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जोश बढ़ गया।

हायाघाट विधानसभा का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। यहां मतदाता हमेशा से जागरूक रहे हैं और जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दों और नेतृत्व की विश्वसनीयता पर ध्यान देते रहे हैं। पिछली बार के चुनाव में उम्मीदवारों के बीच कड़ा संघर्ष देखने को मिला। इस बार भी समीकरण कुछ वैसा ही बनने के आसार हैं, हालांकि नए चेहरे और स्थानीय मुद्दे हालात को बदल सकते हैं।

राजद (RJD) की ओर से चिंटू सिंह की दावेदारी ने हायाघाट क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण को रोचक बना दिया है। अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता और सामाजिक आधार उन्हें मजबूत उम्मीदवार बना सकती है। दूसरी ओर अन्य दल भी अपने-अपने समर्थकों को साधने में जुटे हैं।राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर चिंटू सिंह को आधिकारिक तौर पर मैदान में उतारा जाता है तो मुकाबला सीधा राजद बनाम भाजपा/जदयू के बीच हो सकता है। वहीं, अगर अन्य छोटे दल सक्रिय हुए तो यह मुकाबला बहुकोणीय हो सकता है।

हायाघाट विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।यहां की सड़कों की खराब हालत स्थानीय लोगों की बड़ी परेशानी है।शिक्षा के पर्याप्त साधन न होने से युवाओं को बाहर जाना पड़ता है।स्वास्थ्य सेवाएं नाकाफी हैं, अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।हर साल बाढ़ और जलजमाव की समस्या से लोग त्रस्त रहते हैं।

ग्रामीण इलाकों में किसान सिंचाई, बिजली और फसल के उचित दाम की मांग कर रहे हैं, जबकि शहरी क्षेत्र के लोग रोजगार और आधारभूत संरचना की कमी से परेशान हैं। ऐसे में इन समस्याओं पर ठोस रोडमैप देना हर उम्मीदवार के लिए चुनौती होगी।

हायाघाट में सभी दलों के संभावित उम्मीदवार लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। नुक्कड़ सभाओं, चौपालों और स्थानीय कार्यक्रमों के जरिए वे मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। चिंटू सिंह की जन आशीर्वाद यात्रा ने इस चुनावी हलचल को और तेज कर दिया है। समर्थकों का कहना है कि वे “जमीनी नेता” हैं और जनता के बीच उनकी मजबूत पकड़ है।
जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, हायाघाट विधानसभा का माहौल और गर्माता जा रहा है। चिंटू सिंह की सक्रियता ने यहां की सियासत को नया मोड़ दे दिया है। राजद से सम्भावित दावेदारी को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह है, जबकि विरोधी दलों की बेचैनी भी बढ़ गई है। स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि हायाघाट की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है।

 

Exit mobile version