86 वर्षीय वृद्ध गरीब और लाचार बेलदौर गांव निवासी दुखनी देवी उर्फ शीला देवी पिता स्वर्गीय चमरू महतो ने माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री सचिवालय पटना में अर्जी दायर कर बेलदौर के तत्कालीन सीओ के द्वारा स्थानीय दबंग भू माफियाओं के पक्ष में पीड़िता की रैयती जमाबंदी नंबर 148 को जालसाजी कर करोड़ों रुपए मूल्य की कीमती जमीन का हेराफेरी कर के बेदखल करने का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर उचित न्याय देने की गुहार लगाई है।
मालूम हो कि 22 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समर्पित आवेदन में पीड़िता दुखनी देवी उर्फ शीला देवी ने जघन्य आरोप लगाते हुए कहीं की बेलदौर मौजा अंतर्गत उनके दादा स्वर्गीय संतु धानुक पे, छोटकू धानुक के नाम से रैयती जमाबंदी नंबर 148 पर दर्ज रैयती खाता संख्या 275 के खेसरा नंबर 1988 और 1927 को रद्द करने के लिए चुपके-चुपके बेलदौर अंचल न्यायालय में रैयती जमाबंदी रद्दी करण वाद संख्या 7/ 2016 लाकर भूमि उप समाहर्ता गोगरी के न्यायालय नहीं भेज कर सीधे एडीएम न्यायालय खगड़िया को भेजकर मनमर्जी तरीके से रैयती जमाबंदी नंबर 148 को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया गया। इस आदेश के विरुद्ध दुखनी देवी ने वकील के माध्यम से रैयती जमाबंदी सुधार अपील वाद संख्या 8/ 2019, 2020 मैं डीएम खगड़िया के न्यायालय में दर्ज कर न्याय की मांग की है।
वही दुखनी देवी के आरोप के अनुसार अंचल न्यायालय बेलदौर में लाए गए रैयती जमाबंदी रद्दी करण वाद संख्या 7 / 2016 में तत्कालीन बेलदौर सीओ भू माफिया के पक्ष में प्रथम पार्टी बनकर और आवेदिका दुखनी देवी के 1984 ईस्वी में मर चुके पिता स्वर्गीय चमरू महतो को द्वितीय पार्टी बनाया गया है। दूसरा आरोप यह है कि इस मामले में मृतक स्वर्गीय चमरू महतो की जीवित पुत्री या परिजनों को खास और आम नोटिस तक नहीं किया गया है। वहीं सीओ बेलदौर और एडीएम खगरिया की कार्रवाई उचित नहीं है। तीसरी आरोप यह है कि रिपोर्ट में जिस नागेंद्र नाथ शर्मा पे, स्वर्गीय लक्ष्मी शर्मा के नाम से 672 जमाबंदी नंबर रिटर्न में आने का जिक्र किया है। वह गलत है।
उस जमाबंदी में किसी रैयत का नाम नहीं है, और ना ही खाता खेसरा और रकवा दर्ज है। उस पर दलाल द्वारा 2002/ 2003 में सिर्फ 7 कट्ठा जमीन चढ़ा दिया गया है। इतना ही नहीं दुखनी देवी की रैयती सभी लगान बेलगाम सात खेसरो की जमीन को एकमुश्त फर्जी वाड़ा कर लिया गया है। जबकि 2019 में बिहार सरकार के नेट पर चल रहे रैयती जमाबंदी नंबर 148 पर दर्ज खाता संख्या 275 के खेसरा नंबर 1988 से दुखनी देवी ने चार ग्रामीणों के साथ 6 कट्ठा जमीन जुलाई 2019 मी केवाला बिक्री की है। वही दुखनी देवी ने एसडीओ गोगरी से लेकर जिला पदाधिकारी खगरिया ओर मुख्यमंत्री बिहार सरकार को दावों से संबंधित सभी साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद भी पीड़िता को न्याय नहीं मिल पा रही है।
जिस कारण उक्त दुखनी देवी न्याय के लिए दर दर की ठोकर खा रही है। इस प्रकार भ्रष्ट पदाधिकारियों के द्वारा बिना नोटिस तामील किए बगैर मुर्दा को जिंदा बनाकर उसे द्वितीय पार्टी बनाकर खुद बेलदौर के तत्कालीन सीओ को इस जघन्य वाद में प्रथम पार्टी बनकर गरीब लाचार वृद्ध महिला दुखनी देवी को अपनी ही रैयती जमाबंदी और खतियान जमीन से बेदखल करने का सनसनी खेद समाचार मिला है। यह कार्यवाही कितना सही और गलत है, इस पर माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जिला पदाधिकारी खगरिया आलोक रंजन घोष को अपना मंतव्य व्यक्त करना चाहिए।आगे दुखनी देवी ने कहा यदि उचित न्याय नहीं मिलेगी तो डीएम समक्ष आमरण अनशन कर दम तोड़ने का संकल्प ली है।
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