


बताया कि इस वर्ष अधिक बारिश के कारण 80लाख टन का टारगेट था पर 50 लाख टन ही गन्ना प्राप्त हो पाया । गन्ना किसानों को तो नुकसान का सामना करना पड़ा साथ हीं चीनी मिल को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। पर हमारे किसान हिम्मत नहीं हारेंगे। हिम्मत से काम लें।अधिक से अधिक खेतों में गन्ने की खेती करें ।हम लोग आपके साथ हैं।

मार्केटिंग ऑफिसर सुनील कुमार विश्वकर्मा ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि जब से कृषि क्षेत्र में हमारी कंपनी के तरफ से प्रवेश किया है उस समय से खासकर गन्ना फसलों में कोराजन ने क्रांति ला दिया है। जिस एक एकड़ में तीन टेलर गन्ना होता था आज हम वहीं पांच से सात टेलर तक गन्ना की उपज लेते हैं । यानी पहले 5 कुंटल प्रति 4 डिसमिल जबकि अब 15 से 20 उससे भी ज्यादा क्विंटल प्रति 4 डिसमिल उपज लेते है ।हमारे किसान को सीधा तिकोना उपज प्राप्त होने लगा है । हमारी कंपनी 130 वर्ष पुरानी है । उन्होंने किसानों को कोराजन खेत में डालने की विधि बताते हुए कहा कि 45 दिनों के भीतर सिर्फ ड्रेसिंग की विधि से ही इस्तेमाल करना है। डेढ़ सौ मिली लीटर प्रति एकड़ का 400 लीटर पानी प्रति एकड़ का छिड़काव नहीं बल्कि रेत या खाद के साथ मिलाकर छीटने का सुझाव दिया। सिंचाई के वक्त छिड़काव करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की उपकरण एवं खाद के प्रयोग करने का भी सुझाव दिया।

मालूम हो कि अभी भी छौड़ाही, गढ़पुरा, बखरी, नावकोठी प्रखंड क्षेत्र के 500 एकड़ से ज्यादा गन्ना अभी भी पानी में है। किसान नाव पर गन्ना लादकर किसी तरह बाहर निकाल रहे हैं । जिसमें काफी खर्च आ रहा है। इस परिस्थिति में भी जिला कृषि कार्यालय द्वारा विगत दिनों अत्यधिक बारिश से फसल क्षति में इन प्रखंडों के बारिश से फसल नुकसान हुए पंचायतों को शामिल नहीं किया गया है। चीनी मिल भी अपना घाटा बता रहा है।

हालांकि चीनी मिल मामले की गंभीरता को समझ किसानों को वस्तुस्थिति समझा मदद की बात कह रहा है। परंतु, भाजपा किसान मोर्चा के जिला महामंत्री धर्मेंद्र सिंह कहते हैं कि छौड़ाही का कृषि विभाग किसानों से अवैध वसूली के चक्कर में था। किसानों ने मना कर दिया तो फसल क्षति शून्य कर दिया।

हम लोग इसके विरुद्ध आंदोलन कर जेल भी गए हैं। इन दोनों पाटों में पीस रहे किसानों में काफी आक्रोश है। किसान सभा में रोशन कुमार अमन कुमार, किसान प्रियरंजन, श्याम सुंदर यादव, मोहम्मद बरकत अली, रामाश्रय चौरसिया, रामानंद यादव, राजीव कुमार, रामबाबू यादव समेत अन्य किसान उपस्थित थे।

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