घर पर रहिए कोरोना से लड़िए, ठीक है। लॉकडाउन के कारण घरों में लोगों के एकसाथ रहने से हो रहे कई बदलाव।

बलवंत कुमार चौधरी (बेगूसराय)

 


(बेगूसराय) : यह प्रमाणित है कि महामारी का रुप ले चुके कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का एकमात्र विकल्प लोगों को अपने घरों में रहना है। प्रशासन ने लोगों के सामाजिक व सार्वजनिक संपर्क को बंद करने हेतु लॉकडाउन का आदेश जारी कर लोगों को अपने घर में ही रहने का निर्देश दे उसका सख्ती से पालना भी करवा रही है। इस परिस्थिति में आम जनजीवन को भी कोरोना वायरस के भयावहता का अहसास हो गया है। इसलिए अधिकतर समय अपने घर से बाहर रहने वाले लोग अपने घर पर ही समय काट रहे हैं। परिवार के सभी सदस्यों के एकसाथ रहने से घरों में कई तरह के बदलाव हो गया है। पति द्वारा पत्नी के झाडू लगाने से लेकर सब्जी बनाने में नुक्स ढूंढने पर दोनों के बीच पिंटूआ के जन्म के दस साल बाद दिन में दसों बार हो रही बतकही हो या, दो गोतनी के बीच खट्टी मीठी यादों की दास्तान हो या दो, सहोदर भाई के 30 साल बाद फुरसत में सांप सिढी का खेल साहब , कोरोना वायरस से बचाव का यह घर पर रहने का तरीका रिश्तों को भी बचा रहा है।
लॉकडाउन से जुड़ रहे टूटे रिश्ते : छौड़ाही के चार भाई महेश्वर दिनेश महेंद्र एवं सुरेंद्र 40 से 50 वर्ष उम्र के बीच के हैं। चारों भाई फेरी पर चाट पकौड़ी, रेडिमेड कपड़ा साड़ी, बर्तन बेचने का अलग अलग कारोबार करते हैं। जनता कर्फ्यू के दिन कामकाज बंद कर दिए थे। उसके बाद लॉक डाउन हो गया। चारों भाई तीन दिनों से घर पर ही हैं। आज सुबह सुरेन्द्र लूडो निकालकर लाया और दरवाजे पर बैठे भाइयों से लूडो खेलने का आग्रह किया। रोज कमाने रोज खाने वाले सभी भाई वर्षों बाद लूडो देख समय काटने के उद्देश्य से लूडो खेलने लगे। इसी बीच महेंद्र का 99 पर सांप ने गोटी निगल लिया। तीनो भाई बरबस कह उठे महेंद्र का तो सब दिन 99 पर हीं सांप गोटी खा जाता था। 30 साल बाद एकसाथ बैठ लूडो खेल रहे चारो भाई यह सुन भावुक हो गए चुप हो गए। फिर किया था, चारों भाई अपने बचपन के दिनों के किस्से कहानियों में ऐसे लीन हुए कि समय का पता ही नहीं चला। कोरोना वायरस के बचाव के लिए घरों पर रहने के सरकारी आदेश पर भी चर्चा चली। इसका पालन करने , बच्चों पर कड़ी निगरानी रखने की भी चर्चाएं चारों भाइयों में चल रही थी। इनका कहना था कि हम लोगों की दिनचर्या ऐसी है कि चारों भाई सुबह नाश्ता कर खाना टिफिन में लेकर जो अलग अलग फेरी में निकलते हैं तो रात कब लौटेंगे इसका ठिकाना नहीं रहता है। दुआ सलाम के बाद समय नहीं मिल पाता था कि एक दूसरे से बात करें, दुख दर्द समझें। कोरोना बिमारी से बचने के लिए इधर, कई दिनों से लगातार घर पर हैं तो रिश्तो के रहने का एहसास हो रहा है।
बच्चे भी कर रहे बदलाव का अनुभव : सरकारी आदेश का पालना अब प्रशासन सख्ती से करवा रही है। लेकिन, बच्चे हैं कि मानते ही नहीं। जब उनके अभिभावक भी काफी सख्ती बरतना शुरू किए तो बच्चों में भी अब सकारात्मक बदलाव दिखने लगा है। किशोर एवं बच्चे बच्चियां मोबाइल लैपटॉप आदि सोशल मीडिया माध्यमों से लोगों को सरकारी आदेश निर्देश की जानकारी देने के साथ अपने घरों में ही रहने की अपील कर अपना टाइमपास कर लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। छात्रा प्रियांशी, आराध्या किशोर सौरभ आदि केकई वीडियो लोकल व्हाट्सएप एवं फेसबुक ग्रुप पर चल रहे हैं। जिसमें यह हमउम्र बच्चों को घरों में रहने एवं वहां मम्मी पापा के कामों में हाथ बंटाने, लूडो कैरम अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही घर के अंदर खेलने, अपने-अपने वर्ग क्लास से संबंधित पठन-पाठन की पुस्तकें पढ़ने, ऑनलाइन माध्यम से शिक्षकों से संपर्क रखने आदि का मैसेज दे रहे हैं। मैसेज के साथ घर में रहेंगे कोरोना से बचेंगे से संबंधित कई मीम भी शेयर चैट कर रहे हैं। मॉर्निंग स्कूल से राहत महसूस कर रहे बच्चे मोबाइल टीवी पर समय व्यतीत करने के साथ-साथ लूडो कैरम मनमर्जी से खेल रहे हैं। खास बात यह है कि इन बच्चों का साथ पाकर घर के बुजुर्ग भी काफी तरोताजा महसूस कर रहे हैं।
अधिकारियों में भी बदलाव : बुधवार को छौड़ाही अंचलाधिकारी सुमंतनाथ, एसबीएम मिथलेश कुमार आदि अधिकारी और पुलिस बल के जवान सड़क पर टहल रहे लोगों को हाथ जोड़ कर घरों में रहने की अपील कर रहे थे। बता रहे थे कि कोरोना महामारी से बचने का एकमात्र तरीका अपने अपने घर में रहना है।

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