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कामकाज बंद रहने से भुखमरी की नौबत।

 

मो0 नईमुद्दीन आज़ाद की रिपोर्ट।

लॉकडाउन की वजह से हजारों दिहाड़ी मजदूरों पर रोजगार का संकट छाया हुआ है और उन्हें खाने पीने की चीजों के लाले पड़ गए हैं। फैक्ट्रियां, दुकानें, ढाबे बंद हुए तो इनके पास काम नहीं रह गया है। ऐसे माहौल में उन्हें घर लौटना ही एकमात्र विकल्प दिख रहा है। घर जाने के सारे साधन बंद हैं तो पैरों का सहारा बचा। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर बिहार के बाहर फंसे हुए मजदूरों का घर आने का क्रम जारी है। ऐसी स्थिति में जब 22 मजदूरों को समस्तीपुर रोसड़ा सड़क मार्ग पर पैदल जाते हुए देखा गया तब इन मजदूरों के भोजन की व्यवस्था केवस निजामत पंचायत के मुखिया राजीव कुमार राय तथा समाजसेवियों के द्वारा की गयी। भोजन से पूर्व सभी को हैंड वाश से हाथ साफ कराया गया एवं साबुन व मास्क भी उन मजदूरों के बीच वितरित की गयी। भोजन कराने वक्त शोशल डिस्टेंस का ख्याल रखते हुए सबो को एक मीटर के दूरी पर बैठा कर भोजन कराया गया। कोरोना महामारी से मजदूरों को जागरूक किया गया। साथ ही घर पर रहने की सलाह दी गई। उन्होंने मजदूरों से कहा कि ज्यादा जानकारी प्राप्त करने हेतु हेल्प लाइन नंबर 104 का प्रयोग करें। हाथो को सही से धोएं, सेनिटाइजर तथा मास्क का प्रयोग करें, घरों में रहे व स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का पालन करें। मुखिया राजीव कुमार राय ने बताया कि उनके द्वारा केवस निजामत पंचायत के अलावा समस्तीपुर रोसड़ा मार्ग पर पैदल अपने घर वापस लौटने वाले मजदूरों को कोरोना के सम्बन्ध में बचाव के तरीके बताकर जागरूक किया जा रहा है तथा दूसरे प्रदेशो से पैदल घर वापस लौट रहे राहगीरों के बीच लगातार साबुन तथा मास्क वितरित किए जा रहे हैं।

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