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संत कबीरदास को समर्पित ‘शब्दाक्षर’ बिहार की मासिक गोष्ठी सम्पन्न।

धीरज गुप्ता की रिपोर्ट।
गया:- राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ बिहार की जून माह की प्रादेशिक मासिक काव्यगोष्ठी ब्राह्मणी घाट अवस्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के पावन परिसर में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामकृष्ण मिश्र की गौरवमयी अध्यक्षता  व बिहार राज्य के विभिन्न जिलों से पधारे अतिथि कवियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कबीर जयंती को समर्पित इस काव्यानुष्ठान का शुभारंभ काव्यगोष्ठी का संचालन कर रही शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी द्वारा प्रस्तुत स्वरचित सरस्वती वंदना एवं संत कबीर के प्रसिद्ध दोहों की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ। डॉ. रश्मि ने स्वरचित “संत कबीर सरीखे कवि का होता है दुर्लभ अवतार। जिनकी रचनाओं में है, जीवन दर्शन, उदात्त विचार। मानवीय मूल्यों की अनुपम छटा, भक्ति का नव संचार। सत्य सुसज्जित भाव, ज्ञान, जो कर सकता जग-पुनरुद्धार…”, पंक्तियों द्वारा शब्दाक्षर बिहार के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार मिश्र ‘पद्मनाभ’ को स्वागत वक्तव्य हेतु आमंत्रित किया है। श्री पद्मनाभ ने उपस्थित कवियों एवं श्रोताओं के प्रति शब्दाक्षर बिहार की ओर से हार्दिक आभार प्रकट करते हुए कबीर जयंती की शुभकामनाएँ दीं।इसके साथ ही दो दिवस पूर्व परमधाम सिधार  गये गया के जाने-माने प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय बालमुकुंद अगम्य के प्रति भावभीनी ‘शब्दाक्षर श्रद्धांजलि’ अर्पित की गयी है। कवि अगम्य को दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि भी दी गयी है। तत्पश्चात राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. प्रियदर्शनी ने  ‘शब्दाक्षर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष  रवि प्रताप सिंह तथा शब्दाक्षर बिहार के प्रदेश प्रभारी प्रसिद्ध गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेशों को सबसे साझा किया, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सिंह ने शब्दाक्षर बिहार द्वारा आयोजित इस काव्यानुष्ठान को हिन्दी साहित्य की सेवा में बढ़ाया गया अति प्रशंसनीय कदम बतलाया है। इस कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण तथा विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि अरुण हरलीवाल ने शुभकामना संबोधन के बाद प्रारंभ हुए काव्य पाठ में बतौर प्रथम रचनाकार कवि कुमार कांत ने संत कबीरदास को याद करते हुए अपने स्वरचित दोह़ों की मनभावन प्रस्तुति दी। श्री कांत की ” सुख अनंत सब चाहते, दुःख अनंत के बीच” जैसी खूबसूरत पंक्तियों पर खूब वाहवाहियाँ लगीं।  कवि अरुण हरलीवाल ने, “पद के मद में हद अपनी तू पार न कर, लोकतंत्र में राजा सा व्यवहार न कर, प्यार न कर सकता यारा, तो प्यार न कर, मगर यार पर दुश्मन जैसा वार न कर…” जैसे लाज़वाब मुक्तकों से सभी को भावविभोर कर डाला। वहीं डॉ. रामकृष्ण ने संत कवि कबीरदास को “संप्रदाय विद्वेषिता, जिसने रख दी चीर, मानवता के सत्य को लिखते रहे कबीर, सबद और साखी दिये, दुनिया को दी सीख, करघा, कविता, जीविका, माँगी कभी न भीख…”, पंक्तियाँ समर्पित कीं, तो प्रदेश अध्यक्ष श्री पद्मनाभ ने “तोड़ कर फेंक दी कलम जिसने, थाम लिया हाँथों में पत्थर। सच कहता हूँ दिलबर, जो काफ़िर है, वो अपना हो नहीं सकता..”, पंक्तियाँ पढ़ीं।

शब्दाक्षर’ गया की जिला साहित्य मंत्री कवयित्री संगीता सिन्हा की “हर अंधेरी रात का तू जलता दिया है। इंसान के ही रूप में भगवान बसा है…” तथा शब्दाक्षर जहानाबाद की जिला साहित्य मंत्री कवयित्री सावित्री सुमन की “यहाँ मोहब्बत सिसक रही है, मगर उन्हें कुछ खबर नहीं है, जाना सब को तो एक दिन है, यहाँ पे कोई अमर नहीं है” ग़ज़लों को खूब सराहना मिली। शब्दाक्षर जहानाबाद के जिला सचिव कवि महेश कुमार ‘मधुकर’ की “हे राम, कृष्ण इक बार तुम्हें फिर से भारत में आना होगा। खाकर जूठे बेर, दही औ’ माखन पुनः चुराना होगा… संत कबीर, सूर, तुलसी को फिर से प्रभुगुण गाना होगा…” तथा पी. के. ‘मोहन’ जी की “कबीरदास के जन्मदिवस पर दोहे, साखी गाएँगे। जो भी अच्छी सीख भरी है उनमें, वह अपनाएँगे। शब्दाक्षर की मासिक काव्यगोष्ठी को सफल  बनाएँगे..” जैसी पंक्तियों की भी सभी ने काफी प्रशंसा की। मासिक काव्यगोष्ठी की सफलता पर प्रमोद कुमार, अश्विनी कुमार, दयानंद सरस्वती सहित अन्य श्रोताओं ने हार्दिक हर्ष जताया।

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