समस्तीपुर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर राजकीय मध्य विद्यालय छतौनी में 301 छात्रों के लिए मात्र दो कमरे हैं। बारिश के मौसम में स्कूल के बाहर बरामदे में पढ़ाई होती है।बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावे कि यह तस्वीर पोल खोल रहा है।
मामला शिवाजीनगर प्रखंड के दहियार रन्ना मिडिल स्कूल का है। इसकी स्थापना आजादी के बाद साल 1954 में की गई थी। 301 छात्र-छात्राएं भी यहां नामांकित हैं। लेकिन, इनके लिए मात्र दो कमरा ही उपलब्ध है। बारिश के इस मौसम में बच्चों को पढ़ने में परेशानी हो रही है।
स्कूल के एक छोटे से कमरे में वर्ग 1 से 5 तक के बच्चों का पठन-पाठन चल रहा था। जबकि, दूसरे कमरे में वर्ग 7 और 8 के छात्र-छात्राएं एक साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहा था। वर्ग 6 के बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा था। बारिश की वजह से बच्चों की उपस्थिति पर भी असर पड़ा है।
ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल का भवन 70 साल पुराना है, लेकिन अब तक सरकार ने इसे ठीक करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है।
साल 2006 और 2010 में भवन निर्माण के लिए राशि आई थी। लेकिन, निर्माण नहीं हुआ और राशि वापस चली गई।शिक्षक चंदन कुमार ने बताया कि एक कमरे में वर्ग 1 से 5, दूसरे में वर्ग 7 और 8 व बरामदे में वर्ग 6 का संचालन किया जाता है। जिससे सभी को कठिनाई होती है। शिक्षिका सुधा कुमारी ने कहा कि भवन इतना कमजोर है कि कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। जॉइंट क्लास लेना पड़ता है।
छात्रा रितिका कुमारी ने बताया कि झोपड़ी का क्लास टूट गया है, बारिश में पानी टपकता है। हमें बरामदे में बैठाया जाता है, जिससे हम लोग भींग जाते हैं। यहां भवन की कमी हैं। स्टूडेंट आयुषी कुमारी ने कहा कि वर्ग 7 और 8 की एक साथ पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है। तीन कमरों में आठ वर्गों की पढ़ाई कराना मुश्किल है। एक स्टूडेंट को चोट भी लग गया था।
प्रभारी प्रधानाध्यापक दिलीप ठाकुर ने बताया कि स्कूल का भवन पूरी तरह से जर्जर है। विभाग को कई बार सूचना दी गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बारिश के मौसम में बच्चों को बैठाने की ऑप्शनल व्यवस्था करनी पड़ती है, जिससे काफी दिक्कत होती है।
भवन के आभाव में बेच डेस्क को अंदर से बाहर करना पड़ता है। इसमें बच्चों को चोट भी लग जाती है।
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