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44 वर्ष बाद भी एसडीएम कोर्ट मंझौल नहीं सुलझा सका बाजितपुर मौजे के 241 एकड़ जमीन के स्वामित्व का मामला। तीन पक्ष ठोक रहे दावा, बराबर हो रहा है खूनी संघर्ष। सरकार ने जप्त की है जमीन लेकिन हो रही धड़ाधड़ रजिस्ट्री।

बलवंत चौधरी ( सबकी खबर न्यूज रूम)
 (बेगूसराय) : न्याय में देरी कभी-कभी बड़ी विसंगतियों को जन्म दे देती है। मामला एसडीएम न्यायालय मंझौल में लंबित छौड़ाही अंचल के बाजितपुर मौजे के 241 एकड़ जमीन के स्वामित्व से संबंधित है। लंबित वाद संख्या में वर्ष 1978 से बस तारीख पर तारीख दी जा रही है। फैसला तो नहीं हुआ लेकिन, वर्तमान स्थिति यह है कि इस भूमि विवाद में गुरुवार 28 को फिर एक बार जमकर हिंसा हो गई। जिसमें सीपीआई की महिला कार्यकर्ता संजू देवी की हत्या समेत गोली व फरसा लगने से 16 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इससे पहले हीं एक हत्या, 15 से ज्यादा गोली मारने, जबरन वसूली व कब्जा, दर्जनों वाहन जलाने समेत कई गंभीर पुलिस केस दर्ज हो फिर से अदालत पहुंच गई है। आश्चर्य की बात यह है कि न्यायालय के आदेश पर जप्त उक्त भूमि कि खरीद बिक्री, पक्का निर्माण तक धड़ल्ले से हो रहा है। सालाना राजस्व वसूली का भी हिसाब नहीं है। सीपीएम एवं सीपीआई कार्यकर्ताओं के बीच गोलाबारी एवं खूनी संघर्ष के बाद मामला फिर सुर्खियों में है। दोनों दल खुलेआम आरोप लगा रहे हैं कि रूपये उगाही के लिए अधिकारी मामले को लटकाए हुए हैं।
हो रही रजिस्ट्री, हो गया अवैध निर्माण : पक्षकार जयरामदास बताते हैं कि 15 नवंबर 1978 मे हुए हिंसा के बाद मंझौल एसडीएम कोर्ट में मामला चल रहा है। एसडीएम द्वारा वर्ष 1990 में  धारा 146(1) के तहत 211 एवं 29 कुल 241 एकड़ जमीन विवादित मान जप्त कर उसके रजिस्ट्री पर रोक लगा दी। लेकिन 80 एकड़ के लगभग जमीन की अब तक रजिस्ट्री हो चुकी है। 100 से ज्यादा पक्का घर बन चुका है। 40 से ज्यादा लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी उक्त जमीन पर मिल चुका है। आश्चर्य की बात है कि न्यायालय द्वारा अब तक जमीन की खरीद बिक्री से रोक नहीं हटाई गई है। नाहीं निर्माण कार्य की इजाजत दी गई है।

राजस्व वसूली का हिसाब नहीं : जमीन जोत आबाद करनेवाले जयराम दास, मुन्ना ठाकुर, चंदन यादव, कृत नारायण पासवान आदि बताते हैं कि पहले खुली डाक द्वारा बंदोबस्ती कर जमीन सिर्फ खेती के लिए दिया जाता था।दो सितंबर 2011 में हुए संघर्ष के बाद डाक नहीं हो सका । 2015 में पांच हजार सालाना प्रति एकड़ की दर से 80 एकड़ जमीन सीपीआई 80 एकड़ सीपीएम 80 एकड़ नया नगर के भूस्वामी दुर्गा प्रसाद के वंशजों को मौखिक तौर पर मंझौल एसडीएम और छौड़ाही अंचलाधिकारी के साथ समझौता में दी गई। शर्त यह कि उक्त जमीन सिर्फ खेती की जाएगी। पक्का निर्माण या जमीन का स्वरूप परिवर्तन नहीं किया जाएगा। लेकिन अब तक 241 एकड़ जमीन के 12 लाख रुपए सालाना राजस्व की दर से 48 लाख रुपये अंचल नजारत में जमा होने चाहिए थे। इस वर्ष भी 80 हजार रुपये एक पक्ष द्वारा जमा किया जा चुका है जिसकी रसीद भी राजस्व कर्मचारी द्वारा दी गई है। अंचल नाजीर और सहुरी हल्का के राजस्व कर्मचारी ने नजारत में बाजितपुर भूमि से संबंधित जमा कुल राजस्व से संबंधित सवाल पर चुप्पी साध ली।
कहते हैं अंचलाधिकारी : छौड़ाही अंचलाधिकारी सुमंतनाथ कहते हैं कि इस संबंधित ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती है क्योंकि मामला न्यायालय में लंबित है। पुर्व के आदेश निर्देश पर राजस्व उगाही की जा रही है।
तारीख पर तारीख : सीपीआई के जिला मंत्री पुर्व विधायक अवधेश राय बाजितपुर भूमि विवाद में हो रहे खूनी संघर्ष क जिम्मेदारी भी एसडीएम कोर्ट में लटके मामले पर डाल रहे हैं। बताया कि सीपीआई ने शहादत दे जमिंदार से जमीन मुक्त कराया लेकिन एसडीएम मंझौल अब तक हकदारों के पक्ष मे फैसला नहीं दे पाए। इतने वर्षों से पैसा कमाने के चक्कर में कभी इस पाटी तो कभी उस पाटी को जमीन दे गांव वाले में खून खराबा करवा रही है। तारीख पर तारीख नहीं बल्कि हकदारों को जमीन का पर्चा चाहिए।

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