सतीश कुमार यादव की रिपोर्ट।
रोसडा़ प्रखंड क्षेत्र में मिट्टी निर्माण से जुड़े कुंम्भकार अब बदलते परिवेश में अपने पुश्तैनी धंधे से विमुख होने लगे हैं। हालांकि कुछ बुजुर्ग व कुछ युवा कुम्हार अपने पुश्तैनी धंधे को परिवार के साथ महंगाई के बीच किसी तरह जीवन यापन के लिए अभी चला रहे हैं। समय व महंगाई के बीच धंधे में मुनाफा नहीं देते युवा वर्ग के अधिकतर कुंम्भकार अब प्रदेश की ओर रुख करने पर मजबूर हैं या फिर गांव में अन्य मजदूरी कर दो वक्त की रोटी जुटाने में लगे हैं। राजस्थान के कुछ बंजारा रोसड़ा में आकर प्लास्टर ऑफ पेरिस से रंग-बिरंगे मूर्ति का कर रहे निर्माण जो आकर्षण का केंद्र बना है।
राजस्थानी कुंम्भकार प्लास्टर ऑफ पेरिस से विभिन्न मूर्तियों का कर रहे निर्माण अच्छी बनावट व रंगाई से मूर्ति काफी आकर्षक दिखाई दे रहा। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी राजस्थानी कुछ मूर्तिकार बसंत पंचमी को लेकर मां सरस्वती की मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं ₹400 से लेकर 4000 की कीमत तक की मूर्ति का निर्माण किया है वहीं से व्यवसाय से जुड़े राजस्थानी मूर्तिकार ने बताया बसंत पंचमी के दौरान यहां मूर्ति की अच्छी मांग होती है जिस कारण व प्रत्येक वर्ष यहां आकर रंग बिरंगी मूर्ति का निर्माण करते हैं दूरदराज से बड़ी संख्या में मूर्ति खरीदने लोग पहुंचते हैं वहीं दूसरी तरफ परंपरागत मिट्टी के मूर्ति की मांग अब दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहे